अव्यक्त महावाक्य (रिवाइज मुरली: 04-05-1983)
मन को कन्ट्रोल कर एकाग्रता की शक्ति बढ़ाओ
“एकाग्रता अर्थात् मन को जहाँ चाहो, जैसे चाहो, जितना समय चाहो उतना समय एकाग्र कर लो।”
“जब जैसी स्थिति बनाना चाहें वैसी स्थिति बनाने के लिए मन को ड्रिल करानी है। एक सेकेण्ड में आवाज में आयें, एक सेकेण्ड में आवाज से परे हो जाएं। एक सेकेण्ड में कार्य प्रति शारीरिक भान में आयें फिर एक सेकेण्ड में अशरीरी हो जायें। जब यह ड्रिल पक्की हो तब हर परिस्थिति का सामना कर सकेंगे।
समय प्रमाण अब संकल्पों को समेटने की शक्ति धारण करो, संकल्पों के विस्तार का बिस्तर बन्द करते चलो तब औरों के संकल्पों को रीड कर सकेंगे। नयनों के इशारों से भी किसके मन के भाव को जान लेंगे। जैसे बापदादा के सामने आते हो तो बिना सुनाये हुए भी आप सभी के मन के संकल्प, मन के भावों को जान लेते हैं। वैसे ही आप बच्चों को भी यह अन्तिम कोर्स पढ़ना है।”
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